कही देर ना हो जाए।

कही देर ना हो जाए





 



यू तो प्यार का इजहार
हमने अपने दिलरुबा से कर दी।
उसने भी इनकार
जमाने की डर से कर दी।
जमाने का ना डर  होता
वह भी इकरार करती।
इस इकरार-इनकार के चक्कर में
मैं बूरी तरह से उलझ गया।
मैं उसे याद  नहीं भी करना चाहता
फिर भी वह याद आ जाती
उसका याद हमें बहुत तरपाती।
शायद उम्मीद की किरण बाकी था
इसलिए उसका याद हमें बहुत तरपाती।
उसको भी एक दिन एहसास होगा
मेरा प्यार उसे एक दिन जगाएगा
पर उस दिन हम मिल ना पाएंगे
 तबतक हम किसी और का हो जाएंगे।
                   
           By Sitaram Mahato


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