लिखते रहेंगे

लिखते रहेंगे हर वह बात,
जो कह नहीं सकते हैं कई बार।।

कहने में लफ्ज़ लड़खड़ाते है,
पर लिखने में कलम हरगिज़ नहीं डगमगाते हैं।।

दिल में भरें जस्बातो को अब दिल में ना दफनाऐगे,
दिल के जस्बातो का कब्र सामाजिक माधयम को बनाएंगे।।

लोग क्या कहेंगे अब इस बात से ना घबराएंगे,
जो भी कहना होगा लिख कर कह डालेंगे।।

सीने में दफ़न कर खुद ही घूट जाएंगे,
विचार व्यक्त कर के ही खुद को समझ पाएंगे।।

जबतक स्वयमं के विचार को व्यक्त नहीं कर पाएंगे,
लोगों के राय क्या है कैसे जान पाएंगे?

गर आलोचनाओं से घबराएंगे तो फिर
एक ही जगह सिमट कर रह जाएंगे।।








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