कोमल धूप का स्पर्श
कोमल धूप का स्पर्श मिला जब
खिल उठा धरती का उपवन सारा।
सोयी कलियां खिल उठा,
मेहक उठा बाग-बगीचे सारा।
बाग-बगीचे मेहक देख
उठा चेहक जीव जन्तु सारा,
इस मनोरम दृश्य को देखकर,
लोगों के मन को बहुत भाया।
गरीबों के लिए ठंड में वरदान लेकर आया,
छोटे बच्चों के मुखमंडल पर मुस्कान छाया ।
पोशाकों में आया कमी,
गरीबों के आंखों से गया नमी।
बूढ़े दादा- दादी, नाना-नानी में,
नई उर्जा का संचार हुआ।
अग्नि से छुटकारा पाकर,
बाहर की दुनिया से सम्बन्ध बढ़ा।srmahato.blogspot.com
खिल उठा धरती का उपवन सारा।
सोयी कलियां खिल उठा,
मेहक उठा बाग-बगीचे सारा।
बाग-बगीचे मेहक देख
उठा चेहक जीव जन्तु सारा,
इस मनोरम दृश्य को देखकर,
लोगों के मन को बहुत भाया।
गरीबों के लिए ठंड में वरदान लेकर आया,
छोटे बच्चों के मुखमंडल पर मुस्कान छाया ।
पोशाकों में आया कमी,
गरीबों के आंखों से गया नमी।
बूढ़े दादा- दादी, नाना-नानी में,
नई उर्जा का संचार हुआ।
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