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जिन्दगी कुछ थम सी गई थी

जिन्दगी कुछ देर के लिए थम सी गई थी कुछ रुक से गये थे हम। कुछ लोग के पहचानने से चूक  गए थे हम कुछ ने सराफत का नाजायज फायदा उठाया कुछ ने खुद का सराफत का चोला उठाया पर दोनो ने एहसास दिलाया यहां कोई किसी का नहीं होता है ना कोई अच्छा होता हैं ना ही बूरा जितने देर तक जो जिसका काम का  होता हैं उतनी ही देर तक ही  कोई अच्छा होता हैं कहते हैं ना किसी को बुरा भला कहने से पहले उसके जगह पर खुद को रख कर देखो कौन कितना गलत -सही हैं खुद ही समझ मे आ जाएगा यह सोचकर ही चुप रह जाता था। प्रतिक्रिया देने से पहले असलियत का पत्ता लगाता था अपने दिल से सामने वाला का दिल को समझता था पर कुछ लोग ने ठान लिया हैं सराफत का चोला पहनना है पर असलियत को छिपाने हैं पर जिसे करने मे मजा आता है वहीं एक दिन सजा हो जाता हैं इस बात को समझाओ तो जो मर्जी है करेंगे बोल जाते हैं पर यह बात दोनो तरफ लागू हो  जता हैं हमने भी अपनों को समझा दिया है एक मुहावरा अपने जेहम में बैठा लो- कुता भौके हजार हाथी चले बाजार और अपना काम से मतलब रखो फिर देखो

सब जानते हैं

सच क्या है, सब जानते हैं लेकिन जानकर भी अनजान बने रहते हैं। सभी रिश्तों की एक मर्यादा होती हैं इस बात को सदा समझते हैं। कुछ की अपना स्वार्थ होता हैं यह सोचकर चुप चाप रहते हैं कुछ लोग चुपचाप रहते हैं ताकि रिश्ते यू ही बना रहें कुछ मौकै के तलाश में रहते हैं जिन्दगी इसी का नाम है चुपचाप रहा तो जरूर गलत किया है जबाब दो बहस करता है इसी बहसबाजी में अपनी गलतियों को  भूल जाता हैं सारे आरोप विपक्ष पर लगाते हैं हककीकतह के इतर सब को यही बताते हैं एक बच्चे को बेमतलब के उकसाते हैं अपनी कायरता का परिचय कुछ लोग ऐसे ही देते हैं पर भूल जाते हैं .......…..........…................... या तो स्वीकार करो जो हुआ वह एक घटना था गर नहीं तो दोष तेरा अपना था