सब जानते हैं
सच क्या है,
सब जानते हैं
लेकिन जानकर भी अनजान बने रहते हैं।
सभी रिश्तों की एक मर्यादा होती हैं
इस बात को सदा समझते हैं।
कुछ की अपना स्वार्थ होता हैं
यह सोचकर चुप चाप रहते हैं
कुछ लोग चुपचाप रहते हैं
ताकि रिश्ते यू ही बना रहें
कुछ मौकै के तलाश में रहते हैं
जिन्दगी इसी का नाम है
चुपचाप रहा तो जरूर गलत किया है
जबाब दो बहस करता है
इसी बहसबाजी में अपनी गलतियों को भूल जाता हैं
सारे आरोप विपक्ष पर लगाते हैं
हककीकतह के इतर सब को यही बताते हैं
एक बच्चे को बेमतलब के उकसाते हैं
अपनी कायरता का परिचय कुछ लोग ऐसे ही देते हैं
पर भूल जाते हैं .......…..........…...................
या तो स्वीकार करो जो हुआ वह एक घटना था
गर नहीं तो दोष तेरा अपना था
सब जानते हैं
लेकिन जानकर भी अनजान बने रहते हैं।
सभी रिश्तों की एक मर्यादा होती हैं
इस बात को सदा समझते हैं।
कुछ की अपना स्वार्थ होता हैं
यह सोचकर चुप चाप रहते हैं
कुछ लोग चुपचाप रहते हैं
ताकि रिश्ते यू ही बना रहें
कुछ मौकै के तलाश में रहते हैं
जिन्दगी इसी का नाम है
चुपचाप रहा तो जरूर गलत किया है
जबाब दो बहस करता है
इसी बहसबाजी में अपनी गलतियों को भूल जाता हैं
सारे आरोप विपक्ष पर लगाते हैं
हककीकतह के इतर सब को यही बताते हैं
एक बच्चे को बेमतलब के उकसाते हैं
अपनी कायरता का परिचय कुछ लोग ऐसे ही देते हैं
पर भूल जाते हैं .......…..........…...................
या तो स्वीकार करो जो हुआ वह एक घटना था
गर नहीं तो दोष तेरा अपना था
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