जिन्दगी कुछ थम सी गई थी

जिन्दगी कुछ देर के लिए थम सी गई थी
कुछ रुक से गये थे हम।
कुछ लोग के पहचानने से चूक  गए थे हम
कुछ ने सराफत का नाजायज फायदा उठाया
कुछ ने खुद का सराफत का चोला उठाया
पर दोनो ने एहसास दिलाया
यहां कोई किसी का नहीं होता है
ना कोई अच्छा होता हैं ना ही बूरा
जितने देर तक जो जिसका काम का  होता हैं
उतनी ही देर तक ही  कोई अच्छा होता हैं
कहते हैं ना किसी को बुरा भला कहने से पहले
उसके जगह पर खुद को रख कर देखो
कौन कितना गलत -सही हैं खुद ही समझ मे आ जाएगा
यह सोचकर ही चुप रह जाता था।
प्रतिक्रिया देने से पहले असलियत का पत्ता लगाता था
अपने दिल से सामने वाला का दिल को समझता था
पर कुछ लोग ने ठान लिया हैं
सराफत का चोला पहनना है पर असलियत को छिपाने हैं
पर जिसे करने मे मजा आता है वहीं एक दिन सजा हो जाता हैं
इस बात को समझाओ तो जो मर्जी है करेंगे बोल जाते हैं
पर यह बात दोनो तरफ लागू हो  जता हैं
हमने भी अपनों को समझा दिया है एक मुहावरा अपने जेहम में बैठा लो-
कुता भौके हजार हाथी चले बाजार
और अपना काम से मतलब रखो फिर देखो



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