काश! कालक्रम चक्र पर हमारा जोर होता।

काश!  कालक्रम चक्र पर हमारा जोर होते
तो हम इतना मजबूर ना होते।
कुछ रहस्य बहुतायत कष्टप्रद होता है,
 उससे अनजान रहना ही अच्छा होता  है।
जिन चीजों का सामना नहीं करना चाहता हूं
अक्सर वही आंखों के सामने परिलक्षित हो जाता हैं
इच्छा ना होते हुए भी बहुत कुछ करवा जाता हैं।
और बहुत कुछ के चक्कर में अपना सुख- चैन गवा जाता हैं।
ना कुछ गंवाने का मलाल रहता ना पाने की हरबड़ी
जीवन सुखमय बीत जाता ना होती कोई गड़बड़ी।
जिंदगी की गति धीमी ही सही पर निरन्तर समरूप होता
ना ही जिंदगी में कोई मोड़ आता ना ही कोई छोड़ जाता,
ना किसी का दीवाना बनता ना हीं कोई  अफसाना बनता
मैं जैसा हूं वैसा ही रहता,
लोगों के भीड़ में अपने आप को नहीं खोता तो अच्छा होता।
पर खुद का परिचय खुद से ही करवा गया
अनकही- अनसुनी दास्तां सुना गया
कुछ सपने तोर गए  कुछ का एहसास छोड़ गए
पर जाते-जाते कुछ नये सपने का बीज बो गए
जो अब अपना सा लग रहा है ।
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