अल्फाज़ वहीं पर मायने बदल जाते हैं
आज सुबह थी बड़ी सुहानी
याद आया हमें अपनी नानी
नानी से याद आया हमें
बीते लम्हों कि वह कहानी
याद आया हमें अपनी नानी
नानी से याद आया हमें
बीते लम्हों कि वह कहानी
जो शरारत से परिपूर्ण
डॉट का भरपूर गुंजाइश होती
पर होते थे सभी के दुलारे
जग से निराले
सही ग़लत का पहचान अभी नहीं है
यह सुनकर ही बच जाते थे।
उच्च-नीच,बड़ा- छोटा, जाती- धर्म का
ज्ञान ना था
ना ही खुदगर्जी का एहसास
होते थे अपनी धून में
ना होता था किसी का परवाह।
बीते लम्हों को दोहराया
जिन्दगी बड़ी कठिन डगर हैं
अब समझ में आया।
लोग वही पर हालात बदल जाते हैं
अल्फाज़ वहीं पर मायने बदल जाते हैं।
जिन्दगी भी अजीब होते हैं
कहते हैं
उम्र के साथ समझदार हो जाएगा
पर समझदारी इतना बढ़ा देते हैं कि
रिश्ते का एहसास ही मिटा देते हैं
जिन्दगी भर का रिश्ता
पलभर में ही तोड़ जाते हैं।
नये लोगों से पहचान करवाकर
अपनों को भूल जाते हैं।
बीते लम्हों को फरेब बताकर,
यूंही मिटा देते हैं।
सचमुच जिंदगी भी बड़ी अजीब होते
ये कहां से कहां पहुंचा देते हैं
इस दूनिया में कोई किसी का नहीं है
एहसास दिला ही जाते हैं
पर जाते-जाते जीना सिखा जाते हैं ।
❤️ सीताराम माहतो✍️
अच्छा है।
ReplyDeleteSuperb 👌👌
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