लौट चलें हम

लौट चलें हम उन राहों पर,
जहां ना कोई खुदगर्जी  हो
ना कोई अपना हो ना ही कोई बेगाना हो
ना तेरा हो ना मेरा हो
साथ जीने का ठिकाना हो
हसी खुशी का बहाना हो
हमदर्दों का साथ हो ना ही किसी पर अविश्वास हो।

ये जिंदगी का कोई भरोसा नही है,
ना जाने कब साथ छोड़ जाएगा कौन से रुख मोड़ जाएगा
जो चन्द पल बचा हुआ है ,चलो यादगार बनातें है
बीती बातों को छोड़ एक दूसरे को गले लगाते हैं
लौट चलें हम उन राहों पर जहां खुशियों का बसेरा हो
ना ही कोई दिल में कड़वाहट हो।

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