जिन्दगी की राहें

जिन्दगी की राहें,सुग्म होती
कठिनाइयों से परीचित न हो पाता।
जिन्दगी ऐसे ही कट जाएगा ,
यही सोचकर बेफिक्र हो जाता
जब कभी आकाशमात राहें में मोड़ आता
कुछ भी समझ नहीं पाता, वहीं सिसकर सिमट जाता।

जिन्दगी में कठिनाई का आना भी आवश्यक है,
बिन कठिनाई इनकी गहऱाई समझ नहीं आता
ना स्वयमं का आकलन कर पाता।
जो इस कठिनाई से एक बार गुजर गया
कोई नहीं उसे बिखेर सकता है।

अक्सर सुख का सब साथी होता हैं
दुःख की घड़ियां में सिर्फ़ शाखा रहता है।
राहें सुग्म हो या दुर्गम
पर राहें अपनों की पहचान करवा जाता है।

दुनिया- दारी के बाजार में ,
अपनी अनुभव से परिचित करवाकर,
हमें अभी किस बात का ज्ञान है नहीं है
इस बात का एहसास दिला जाता हैं।

ंकहने के लिए हम कहते हैं,हम अपनें हिसाब से चलेंगे
जो  हमें अच्छा लगेगा वही कार्य करेंगे,
पर सच्चाई तो यही है हम अपना मन का कुछ नहीं करते हैं
दुनिया के हिसाब से अपने आप को ढ़ालते है
दूनिया से कट ना जाय ,
इस डर से बहुत कुछ कर जाते हैं
जिन्दगी की राहें  ऐसी ही होती है,
यही सोचकर हम सब  चल पड़ते हैं।




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