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भगवान से पूछना है?

भगवान से पूछना है। ये सब क्या माजरा हैं, आज इंसानों के बीच कैसा सन्नाटा है। जो कल तक करीब होते थे, आज दूर- दूर भागते है। जो कल तक गले लगाते थे, अब वह पास आने से कतराते हैं। करोना नामक जाल में इंसानों को, इस कदर उलझा दिया है। अपना कोन है पराया कोन है फर्क भी नहीं बताया। यह कैसा धर्म संकट में लोगों को डाल दिया हैं। पहले क्या रिश्तों में कम खाई था , जो तुम और बढ़ा दिया। करोना के संकट से जल्दी मुक्ति दिलाओ भगवन। बिछड़ों को फिर से मिलाओ भगवन बहुत हो गया करोना का कहर , अब हम सब पर दया दृष्टि दिखाओ भगवन हमे बचाओ भगवन,हमे बचाओ भगवन।

करूना से निपटना हम सब की जिम्मेदारी है

 करूना एक महामारी हैं, जिससे निपटना हम सब की जिम्मेदारी हैं। हम अपने सूझ-बूझ से इससे हराएंगे वरना अपनो में बेगाने बनकर रहजाएगे कुछ दीनो के परेशानी सहकर , इससे निश्चय निपटारा पाएंगे। चले समाजिक जिम्मेदारी निभाते हैं कल के चैन के लिए आज अपने घर मे नजर बन्द हो जाते हैं। करूना भाईरस को धोखादेकर ,उसे मार देते हैं। भारत माता भी बोल रही मेरे राष्ट्रवासी भूल ना जाना इस कर्फ्यू को सफल कर तू अपना फ़र्ज़ निभाना । समस्या बड़ा है अतः हम सब को है साथ निभाना।
ना मैं किसी के नजदीक हूं, ना किसी के करीब हूं। जो मुझे जितना समझते, उतना ही उसके करीब हू। जब दो लोगों के विचार मिलते हैं वहां लोग अपने आप करीब आ जाते हैं पर विपरीत ख़्यालात के लोगो के बीच, समन्वय स्थापित करना ये आप के विवेक पर निर्भर करता है ‌ ख्यालों का मिलना भी एक सबब ही हैं। यहां विचारों का आदान-प्रदान नहीं होता हैं। किसी के हर बात में हामी भरना समझदारी नहीं है, गलत को गलत बोलना कोई वेवफाई नहीं है। बड़ों का सम्मान जरूरी हैं, पर अपने विचार व्यक्त करना भी जरूरी हैं। हमारे विचार से किसी को चोट ना पहुंचे इसका ख्याल रखना भी जरूरी हैं। समय के साथ बदलना भी जरूरी है पर अपना सही पारम्परिक व्यवस्था को, जीवित रखना भी जरूरी है। मानव हो तो मानवता के प्रति उदार बनो, जहा सम्भव हो लोगों का सहयोग करो। कभी -कभी आपका एक सुझाव ही सामने वाले को बहुत समस्या का हल खोजने में मदद करता हैं। वह अपना समझे इस वाक्य से सदैव घृणा करे। इन्सान हों तो थोड़ा सा इंसानियत दिखा।

जिन्दगी कुछ थम सी गई थी

जिन्दगी कुछ देर के लिए थम सी गई थी कुछ रुक से गये थे हम। कुछ लोग के पहचानने से चूक  गए थे हम कुछ ने सराफत का नाजायज फायदा उठाया कुछ ने खुद का सराफत का चोला उठाया पर दोनो ने एहसास दिलाया यहां कोई किसी का नहीं होता है ना कोई अच्छा होता हैं ना ही बूरा जितने देर तक जो जिसका काम का  होता हैं उतनी ही देर तक ही  कोई अच्छा होता हैं कहते हैं ना किसी को बुरा भला कहने से पहले उसके जगह पर खुद को रख कर देखो कौन कितना गलत -सही हैं खुद ही समझ मे आ जाएगा यह सोचकर ही चुप रह जाता था। प्रतिक्रिया देने से पहले असलियत का पत्ता लगाता था अपने दिल से सामने वाला का दिल को समझता था पर कुछ लोग ने ठान लिया हैं सराफत का चोला पहनना है पर असलियत को छिपाने हैं पर जिसे करने मे मजा आता है वहीं एक दिन सजा हो जाता हैं इस बात को समझाओ तो जो मर्जी है करेंगे बोल जाते हैं पर यह बात दोनो तरफ लागू हो  जता हैं हमने भी अपनों को समझा दिया है एक मुहावरा अपने जेहम में बैठा लो- कुता भौके हजार हाथी चले बाजार और अपना काम से मतलब रखो फिर देखो

सब जानते हैं

सच क्या है, सब जानते हैं लेकिन जानकर भी अनजान बने रहते हैं। सभी रिश्तों की एक मर्यादा होती हैं इस बात को सदा समझते हैं। कुछ की अपना स्वार्थ होता हैं यह सोचकर चुप चाप रहते हैं कुछ लोग चुपचाप रहते हैं ताकि रिश्ते यू ही बना रहें कुछ मौकै के तलाश में रहते हैं जिन्दगी इसी का नाम है चुपचाप रहा तो जरूर गलत किया है जबाब दो बहस करता है इसी बहसबाजी में अपनी गलतियों को  भूल जाता हैं सारे आरोप विपक्ष पर लगाते हैं हककीकतह के इतर सब को यही बताते हैं एक बच्चे को बेमतलब के उकसाते हैं अपनी कायरता का परिचय कुछ लोग ऐसे ही देते हैं पर भूल जाते हैं .......…..........…................... या तो स्वीकार करो जो हुआ वह एक घटना था गर नहीं तो दोष तेरा अपना था

लिखते रहेंगे

लिखते रहेंगे हर वह बात, जो कह नहीं सकते हैं कई बार।। कहने में लफ्ज़ लड़खड़ाते है, पर लिखने में कलम हरगिज़ नहीं डगमगाते हैं।। दिल में भरें जस्बातो को अब दिल में ना दफनाऐगे, दिल के जस्बातो का कब्र सामाजिक माधयम को बनाएंगे।। लोग क्या कहेंगे अब इस बात से ना घबराएंगे, जो भी कहना होगा लिख कर कह डालेंगे।। सीने में दफ़न कर खुद ही घूट जाएंगे, विचार व्यक्त कर के ही खुद को समझ पाएंगे।। जबतक स्वयमं के विचार को व्यक्त नहीं कर पाएंगे, लोगों के राय क्या है कैसे जान पाएंगे? गर आलोचनाओं से घबराएंगे तो फिर एक ही जगह सिमट कर रह जाएंगे।।

लौट चलें हम

लौट चलें हम उन राहों पर, जहां ना कोई खुदगर्जी  हो ना कोई अपना हो ना ही कोई बेगाना हो ना तेरा हो ना मेरा हो साथ जीने का ठिकाना हो हसी खुशी का बहाना हो हमदर्दों का साथ हो ना ही किसी पर अविश्वास हो। ये जिंदगी का कोई भरोसा नही है, ना जाने कब साथ छोड़ जाएगा कौन से रुख मोड़ जाएगा जो चन्द पल बचा हुआ है ,चलो यादगार बनातें है बीती बातों को छोड़ एक दूसरे को गले लगाते हैं लौट चलें हम उन राहों पर जहां खुशियों का बसेरा हो ना ही कोई दिल में कड़वाहट हो। ♥️ www.srmahato.blogspot.com ✍️